भोजपुरी कजरी लोक गीत_ जीयरा में हिलोर
भोजपुरी कजरी लोक गीत_ जीयरा में हिलोर ।
जीयरा में उठेला हिलोर हो,
काहे हमके भूल गइला सजना।
सावन के महीना पिया झर झर बरसे।
रहिया जोहत पिया नयन मोर तरसे।
बिरहीन के हीया कईला सुल हो।
काहे हमके भूल.................।
कारे कारे बदरा भिंजावे मोर अंचरा।
बरसत नैना रोई धोवावे मोर कजरा।
झनकत पायल गइल खुल हो।
काहे हमके भूल .....................।
बैरी पवनवा नाजुक बदनवा कपावेला।
निर्मोही बलमुआ लौटी अंगनवा ना आवेला।
जईसे बुझाला गूलर फूल भईला सजना।
काहे हमके भूल...................।
आधी आधी रतिया चिहुंक उठी सेजिया।
बिजुरिया बेदर्दी चमक उठे पजिया।
गुजरिया बिना कोकाकोला कुल भइला सजना।
काहे हमके भूल गइला सजना।
जीयरा में उठेला हिलोर हो।
गीतकार
श्याम कुंवर भारती (राजभर)
बोकारो, झारखंड
मॉब.9955509286